उर्वरक बिजनेस का सीधा-सा अर्थ है कि ऐसा बिजनेस जिसमें हम अपने किसानों के लिए उनके खेत में डाले जाने वाला रसायन पदार्थ होता है।उसको हम उर्वरक बिजनेस कहते है।
ज्यादातर किसान अपने खेती-किसानी में यूरिया,DAP का इस्तेमाल करते है। जिससे उनकी उपज बढ़ जाती है।
परन्तु उसका क्वालिटी कम हो जाता है। आज के समय में हमारे खान-पान की क्वालिटी गिरता जा रहा है और हम बीमारियों से ग्रसित होते जा रहे है। जिससे हमारा स्वास्थ्य पर फर्क पड़ता है और हम कमजोर होते चले जाते है।
इसका प्रमुख कारण हमारा भोजन है जो कि आज के समय में रसायन खाद के प्रभाव से हमारे भोजन में जहर मिलता जाता रहा है।
यदि आज हमारे देश के युवा चाहे तो इसका निजात कर सकते है।
हमारे देश में बेरोजगारी बढ़ती जा रही है। ऐसे में हमारे युवाओं को अपनी खेती-किसानी की तरफ अग्रसर होना चाहिए। हमारे भारत देश कभी रीढ़ की हड्डी कृषि सेक्टर को ही कहा जाता है।
इसलिए हमारे युवाओं को कृषि से संबंधित बिजनेस करना चाहिए। जैसे – देसी मुर्गी पालन, मछली पालन, जैविक खेती, भैंस पालन,गाय पालन, बकरी पालन आदि बिजनेस स्टार्ट कर सकते है। और इस व्यवसाय के द्वारा एक अच्छा खासा इनकम जनरेट कर सकते है।
इस व्यवसाय के द्वारा हम रोजगार क्रिएट कर सकते है। जिससे हम अपने देश में बेरोजगार को रोकने की कोशिश कर सकते है।
उर्वरक बिजनेस
आज के समय में हमारे युवाओं को चाहिए कि वे अपने खेतों में रासायनिक खाद न डालकर बल्कि जैविक खाद का उपयोग कर खेती करे तो हमारे किसानों को खेतों में क्वालिटी पूर्ण फसलों का उत्पादन होगा और हम गंभीर बीमारियों से बच सकते है। और हम अपने खेतों से सम्बंधित कोई बिजनेस कर एक अच्छा खासा इनकम जनरेट कर सकते है। जिससे हमारा जीवन शैली अच्छा हो जायेगा।
जैविक खाद –
जैविक खाद का सीधा सा अर्थ है कि ऐसा खाद जो रसायन मुक्त हो। इस खाद को हम अपने घर पर तैयार कर सकते है।
हमारे किसानों को अपनी खेती-किसानी के साथ-साथ पशुपालन भी करना चाहिए। इससे वे अपने आप को आर्थिक रूप से मजबूत बना सकते है।गाय या भैंस के गोबर के द्वारा हम जैविक खाद का निर्माण कर सकते है। इस तरीके को हमारे किसानों को अपनाना चाहिए। जिससे वे जैविक खाद का उपयोग अपने खेतों में कर सके। किसान चाहे तो इसे उर्वरक बिजनेस के तौर पर अपना बिजनेस कर सकते है।
ढैचा खाद-
हमारे किसानों को ढैचा खाद का इस्तेमाल भी अपने खेतों में करना चाहिए। हमारे उत्तर प्रदेश में किसान लोगों को इसका उपयोग जरुर करना चाहिए।
इसमें होता क्या है कि ढैचा खाद के द्वारा हमें वायुमंडल से नाइट्रोजन की प्राप्ति हो जाती है।जो कि यूरिया में मुख्य रूप से 46% पाया जाता है।
हम अपने खेतों में नाइट्रोजन की पूर्ति ढैचा खाद के द्वारा पूरी कर सकते है। और अपने लागत को कम कर सकते है। किसान चाहे तो इसे उर्वरक बिजनेस के तौर पर अपना बिजनेस कर सकते है।
वर्मीकम्पोस्ट खाद –
वर्मीकंपोस्ट खाद भी हमारे किसान अपने घर पर बना सकते है। वर्मीकम्पोस्ट खाद को हम केंचुआ खाद भी कहते है।इसको तैयार करने के लिए गाय या भैंस का गोबर का उपयोग करने के साथ-साथ केंचुआ का भी उपयोग किया जाता है।
किसी स्थान पर गोबर को इकट्ठा कर उसमें केंचुआ डालकर यह खाद तैयार किया जाता है। इस खाद का उपयोग हमारे किसान सीधे तौर अपने फसलों में कर सकते है। यह एक जैविक खाद होता है। इसका किसान चाहे तो उर्वरक बिजनेस के तौर पर अपना बिजनेस कर सकते है।
उर्वरक बिजनेस का एक व्यापार के रूप में शुरूआत-
जो ऊपर बताया गया है जैविक खाद, वर्मीकम्पोस्ट को हम चाहे तो इसे बिजनेस के तौर पर शुरुआत कर सकते है आज के समय में बेरोजगार युवाओं के लिए यह फील्ड वरदान साबित होगा।
युवा को चाहिए कि भैंस पालन एवं गाय पालन कर उनसे दुग्ध उत्पादन के जरिये अपना रोजगार कर सकते है। यदि वे चाहे तो उनके गोबर का खाद बनाकर उनसे भी अपना व्यवसाय कर सकते है। इससे हमारा घर-परिवार अच्छी तरह से चल सकता है।
निष्कर्ष –
अतः हम उपरोक्त लिखित वाक्यांश के आधार पर यह कह सकते है कि उर्वरक बिजनेस को जैविक खाद बिजनेस के तौर पर हमारे युवाओं को करने की कोशिश करना चाहिए। जिससे हमारा भारत देश कृषि से, कृषि से संबंधित व्यवसाय के द्वारा रोजगार का क्रियावन किया जा सकता है।