मानसिक टॉर्चर वह होता है। जब हम किसी से स्नेह, प्रेमभाव की अभिलाषा रखते हैं। हम उसका मान-सम्मान करते हैं हम उस पर विश्वास करते हैं । वह हमारा अभिभावक या परिवार का कोई सदस्य भी हो सकता है । उसे हम अपना मानते हैं। परन्तु जब हमें उस व्यक्ति से बेइज्जत, बदतमीजी जैसे व्यवहार पाते है तब हम उसे मानसिक टॉर्चर कहते है।
इसका सीधा-सा अर्थ है कि किसी अपने द्वारा ही हमारा मानसिक शोषण, मानसिक स्तर पर पीड़ा देना, भावनात्मक स्तर पर पीड़ा देना ही मानसिक टॉर्चर कहलाता है।
यह किसी के भी साथ हो सकता है। चाहे वह पुरुष हो या महिला हो। जब किसी पुरुष को मानसिक टॉर्चर किया जाता है तो वह अपना आपा खो देता है।
उसका सबसे पहले अपने ऊपर आत्मविश्वास कम हो जाता है। वह अपने जीवन का मूल्य नहीं समझता है। उसमें जीने की इच्छा नही रह जाती है। वह जीना नही चाहता है। उसकी मृत्यु के समान हालत हो जाती है।
वहीं पर जब किसी महिला के साथ मानसिक टॉर्चर होता है वह उसके पति के द्वारा होता है। उसका पति उसकी परवाह नहीं करता है। उसकी बातों विचारों का वैल्यू नहीं करता है।
उसे एक वस्तु के समान समझता है उसे एक निर्जीव वस्तु समझता है।
वही पत्नी अपनी पूरी जिम्मेदारी व कर्तव्य अपने पति के प्रति पूरी करती है। बदले में वह भी अपने पति से मान-सम्मान की उम्मीद रखतीं हैं। परंतु बदले में उसे बेइज्जत व अपमान मिलता है।उसके साथ गाली-गलौज ,मारपीट उसके पति द्वारा किया जाता है। यही मानसिक टॉर्चर कहलाता है।
इसमें उस महिला का हालत दयनीय हो जाता है।वह जीवन जीने की इच्छा नही रखती है। वह मरना चाहती है। परन्तु विवश होकर वह अपना जीवन घुट-घुटकर गुजारती है।
इस प्रकार से उस महिला के साथ मानसिक टॉर्चर होता है।
इस प्रकार से किसी भी पुरुष का मानसिक शोषण उसके पिता, अभिभावक करते हैं।तो वही पर किसी महिला का मानसिक शोषण उसके पति द्वारा किया जाता है।
युवा का मानसिक टॉर्चर
युवा का मानसिक टॉर्चर उसके अभिभावक द्वारा किया जाता है । युवा बचपन में जिस पर निर्भर रहता है।वह उसका पिता और माता होते है। मां फिर भी अपने बच्चों का पालन-पोषण अपनी हर कोशिश से अच्छा करना चाहती है।
यानी एक शब्द में कहा जाये तो उसका पिता ही मुख्य सदस्य होता है जो उसके पालन-पोषण का जिम्मेदार होता है।
परन्तु वह पिता अपने बच्चों का पालन-पोषण करता तो है। परन्तु अपने अहंकार और घमंड में आकर उसका मानसिक रूप से शोषण भी करता रहता है। जैसे उसे बेवजह डांट फटकार लगाता है।,उसकी माता के साथ गाली-गलौज करना , मारपीट करना,उसको मारना पीटना,उसकी सही बातों पर रोक टोक लगाना।
इस प्रकार से यह सब एक प्रकार से मानसिक शोषण होता है।बच्चा जिस तरह से धीरे-धीरे बढ़ता जाता है उसका अपने पिता के प्रति क्रोध, नफरत बढ़ता जाता है।
इस प्रकार से इन दोनों के बीच नकरात्मक संबंध स्थापित हो जाता है। और वे दोनों एक दूसरे के लिए मानसिक रूप से शोषण का कार्य करते हैं।
युवती का मानसिक टॉर्चर
किसी भी युवती का मानसिक टॉर्चर उसके अभिभावक यानी उसके माता-पिता द्वारा किया जाता है। पिता तो लगभग-लगभग अपनी बेटी के प्रति स्नेह, प्रेमभाव रखता है
परन्तु माता अपनी बेटी का मानसिक रूप से शोषण करती है जैसे वह उसे मूल जरूरत से दूर रखती है पढ़ाई-लिखाई आदि। वह उसको डांट फटकार लगाती रहती है।उसके उम्र बढ़ने के साथ-साथ उसको घर के कामकाज में लगा देती है।
इस प्रकार से जब युवती का विवाह योग्य उम्र हो जाता है ।तो बिना उसकी मर्जी के कही पर भी उसकी शादी करा दी जाती है। इस तरह से युवती का मानसिक शोषण होता है।
यही पर उसका मानसिक टॉर्चर रुकता नही है। बल्कि वह अपने ससुराल में भी तमाम तरह की मानसिक टॉर्चर का सामना करती है। वह अपने पति के द्वारा एवं पति के अन्य सदस्य द्वारा भी मानसिक शोषण का शिकार होती रहती है।
इस प्रकार से युवती का मानसिक टॉर्चर होता है।
मानसिक शोषण रोकने के उपाय 2024