भावनात्मक शोषण 2024

भावनात्मक शोषण जब किसी व्यक्ति का किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह द्वारा उसके साथ उसके भावना के साथ खिलवाड़ किया जाता है। तो वह भावनात्मक शोषण कहलाता है।

इसमें जिस व्यक्ति का भावनात्मक शोषण किया जाता है।वह बुरी तरह से टूट जाता है। उसमें जीने की इच्छा खत्म-सी हो जाती है।

यह परिवार के सदस्यों द्वारा किया जाता है उसके भावना को न समझ कर उसकी कद्र न कर। उसे बुरी तरह से प्रताड़ित किया जाता है।उसके साथ गलत व्यवहार किया जाता है।उसके हिम्मत को तोड़ा जाता है।उसके जीवन को तबाह करने की कोशिश की जाती है।

उसकी सही बातों को गलत ठहराया जाता है और अपनी गलत बातों को सही ठहराया जाता है।

इस प्रकार से उसमें इंसानियत खत्म-सी हो जाती है।उसके साथ जानवर से भी बदतर व्यवहार किया जाता है।

उसके भावना को ठेस पहुंचाया जाता है। उसको बार-बार बेइज्जत , अपमानित किया जाता है।उसके उत्साह को निरूउत्साह में परिवर्तित कर दिया जाता है।

 

भावनात्मक शोषण और प्रभाव
भावनात्मक शोषण

 

इसी प्रकार किसी भी के साथ यह घटना हो सकता है। चाहे वह पुरुष हो या महिला दोनों के साथ होता है। जैसे-किसी लड़की का जब किसी लड़के के साथ शादी हो जाती है। तब वह एक पत्नी बन जाती है और लड़का पति बन जाता है।

लड़की अपना घर-बार छोड़कर लड़के के घर-परिवार को संभालती हैं। अपने पति का मान-सम्मान, सेवा-सत्कार करतीं हैं। वही पर लड़का भी अपने पति होने का फर्ज निभाता है।

परन्तु कहीं-कहीं पर उस पत्नी का भावनात्मक शोषण उसके पति व अन्य सदस्य द्वारा किया जाता है। वह पत्नी अपने पति के घर-परिवार को पूरी जिम्मेदारी से संभालती है। वह इसके बदले में पति से मान-सम्मान की उम्मीद रखतीं हैं।

परन्तु बदले में उसे उसके पति द्वारा भावनात्मक रूप से प्रताड़ित किया जाता है।उसके सभी जिम्मेदारियों को पूरी करने के बावजूद उसके कार्य को दुत्कारा जाता है। उससे नफ़रत किया जाता है।उसके साथ बदतमीजी किया जाता है।

इस प्रकार से उसका जीवन नरक के समान हो जाता है। अतः लड़की के माता-पिता, अभिभावक को बहुत  सोच-समझकर ही लड़की का विवाह एक अच्छे घर-परिवार में करना चाहिए। जिससे वह अपने जीवन को खुशी पूर्वक  बिता सकें।

इस प्रकार से भावनात्मक शोषण होता है।

भावनात्मक शोषण का प्रभाव

हमारे समाज में जब किसी युवा का भावनात्मक शोषण होता है। तब उसके हाव-भाव बदल जाते हैं। वह लोगों से अलग रहने लगता है। उसे मानव जाति से नफरत होने लगती है।

उसे समाज में सभी लोगों से डर लगने लगता है। इस भावनात्मक शोषण के जिम्मेदार उसके घर वाले होते है।उसके अभिभावक होते है। जो उसके साथ बहुत बुरा बर्ताव करते हैं उसका हमेशा अपमान करते हैं उसके साथ हमेशा रोका-टोकी करते रहते हैं।

उसके साथ मारपीट करते है।उसके वजूद के न होने का एहसास कराते हैं।

इस प्रकार से वह व्यक्ति टूट कर बिखर जाता है। उसमें जीने की इच्छा खत्म सी हो जाती है।

अतः हमें अपने समाज के युवाओं से अपील है कि वे जिस किसी के भी साथ भावनात्मक शोषण हो रहा है।उनको उस भावनात्मक शोषण से बचाने की कोशिश करें।

भावनात्मक शोषण स बचाव

जब किसी व्यक्ति या युवा के साथ भावनात्मक शोषण होता है। तब उस व्यक्ति या युवा को अपना आत्मसंयम बनाए रखना चाहिए। क्योंकि उसमें उस युवा या व्यक्ति का कोई दोष नहीं होता है।

उसे अपना आप नहीं खोना चहिए। बल्कि उसे अपने इमोशन को कंट्रोल करना चाहिए एवं जो उसका साथ देता है उसके साथ अपना दुःख शेयर कर अपने आप को सांत्वना देना चाहिए।

उसे अपने शारीरिक एवं मानसिक स्थिति का संतुलन बनाए रखना चाहिए। उसे अपने मूल समस्या के समाधान पर जोर देना चाहिए।

उसे अपने वीर्य का संचय करना चाहिए। जिससे वह अपने शारीरिक मजबूत तथा मानसिक स्वस्थ को बनाए रखकर किसी अच्छे मुकाम को हासिल करेगा।

जब वह किसी सफलता को प्राप्त कर लेगा। तब वहीं लोग जो उसका भावनात्मक शोषण कर रहे थे। वह उसके सफलता से प्रभावित होकर उसका भावनात्मक शोषण करना बंद कर देंगे।

आते हमें अपने लक्ष्य पर ध्यान देना चाहिए। और अपने करियर पर ध्यान देना चाहिए।

इस प्रकार से हम अपने साथ होने वाले भावनात्मक शोषण से अपना बचाव कर सकते हैं।

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